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कम्बख्त इश्क़

ठण्ड के दिन थे, सुबह के 9 बजे थे, कोहरा धीरे धीरे छट रहा था, विक्रम अपनी छत पर व्यायाम कर रहा था, वह पसीने से तर था, तभी सामने की छत पे पायल अपने बाल सुखाने पहुंची, हाँथ में एक कागज़ था जो उसने एक पत्थर पे लपेट कर विक्रम की छत पर फेक दिया, विक्रम ने मुस्कुराते हुए कागज़ उठाया, लिखा था- 'पुल के पास वाले मंदिर में शाम 6 बजे मिलना' | शाम के 6 बजे थे, मंदिर में एक दिया जल रहा था, सूर्य अस्त हो चूका था, हलकी सी रौशनी अभी भी आसमान में जुंझ रही थी, विक्रम पहले ही मंदिर में पहुंच चुका था, तभी मंदिर के द्वार से पायल ने प्रवेश किया, हलकी रौशनी में पायल का चेहरा जैसे और खिल रहा था, विक्रम को देख कर थोड़ी से शर्म से पायल की आंखे नीची हों गयी, फिर दिल ने कुछ ज़िद दिखाई तो आंखे ऊपर कर सीधे विक्रम की आँखों से जा लड़ी, पायल उसी अल्हड़ मिजाज़ी और हलकी सी बेशर्मी से विक्रम को निहारती हुई उसके पास जाके बैठ गयी | चिड़ियों की चहचहाट कम होने लगी थी, मंदिर की घंटियों की ध्वनि रह-रह कर आरही थी, तभी पायल ने बात शुरू की - कल मुझे लड़के वाले देखने आरहे है, अब तक 3-4 लड़को को मना कर चुकी हूँ इस बार मना करुँगी त