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अँधेरे

पहले अंधेरो को अँधेरे में रखा गया फिर उजालों पर खूब लिखा गया किताबें जो उम्र भर ना सीखा सकी बुरा वक़्त पल भर में सीखा गया हम तरसते रहे जिनके दीद को वो जाने किस किस को मुँह दिखा गया जिसकी छाँव में बचपन गुज़ारा था वो दरख़्त यहाँ से चला गया मुझे अब नींद ही नहीं आती एक ख्वाब जो नींद उड़ा गया फूल अब यहाँ नहीं खिलते कोई भवरों का दिल दुखा गया 'अश्क़' क्यों हर तरफ हंगामा है क्या कोई हाल ए दिल सुना गया ~अश्क़ जगदलपुरी