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Khumar Barabankvi - Top 20 Sher

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  1.   भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए 2. मिरे राहबर मुझ को गुमराह कर दे सुना है कि मंज़िल क़रीब आ गई है 3. न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है 4. वही फिर मुझे याद आने लगे हैं जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं 5. दुश्मनों से प्यार होता जाएगा दोस्तों को आज़माते जाइए 6. हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं 7. तुझ को बर्बाद तो होना था बहर-हाल 'ख़ुमार' नाज़ कर नाज़ कि उस ने तुझे बर्बाद किया 8. फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले 9. गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के ब'अद हम कुछ दूर आदतन भी क़दम डगमगाए हैं 10. चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं नया है ज़माना नई रौशनी है 11. हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं 12. जब से बिछड़े वो मुस्कुराए न हम सब ने छेड़ा तो लब हिला बैठे 13. अक़्ल ओ दिल अपनी अपनी कहें जब 'ख़ुमार' अक़्ल की सुनिए दिल का