क्यों है
ज़िन्दगी दे के हमें सताता क्यों है
मौत देता है तो दे तड़पता क्यों है
फूंकी है जान मिट्टी के जिस्म में तूने ही
फिर दुनिया का हर शख्स मर जाता क्यों है
मै तेरे नशे में ही चूर रहता हूँ
फिर मुझे तू और पिलाता क्यों है
जो जानवर भी ना सलीके के बन पाएंगे
ऐसे लोगों को तू इंसान बनाता क्यों है
तू कहता है शराब बुरी है बहुत
इतनी बुरी है तो बनाता क्यों है
'अश्क़' है तो आँखों से बरस जाता
कम्बख्त दिल में उतर जाता क्यों है