दिल्ली में - नज़्म

सुना है हवा ख़राब है दिल्ली मे
बाकि सब ला जवाब है दिल्ली मे

इतनी सिक्योरिटी और इतना ताम झाम
कहा के नवाब है दिल्ली मे

पतझड़ के मौसम मे झड़ते ही नहीं
ऐसे कई गुलाब है दिल्ली मे

एक कुर्सी और उसपर बैठा मैं
ऐसे कई ख़्वाब है दिल्ली मे

देती है आज़ादी टुकड़े टुकड़े कहने की
ऐसी कोई किताब है दिल्ली मे

~अश्क़ जगदलपुरी

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिरीन फरहाद और ग़ालिब

Khumar Barabankvi - Top 20 Sher

हम आलोचना करेंगे