ज़हर बह रहा है

ज़हर बह रहा है
पानी में हवा में
नवजात ज़हर पी रहे है
माँ के स्तनों से
खेतोँ में अब
आग ही आग है
हवा में अब
स्मॉग ही स्मॉग है
नदी में अब
झाग ही झाग है
आओ आवाहन करें
इसी झाग में डूब मरे

~अश्क़ जगदलपुरी

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिरीन फरहाद और ग़ालिब

नारी

दिल्ली में - नज़्म