इस ब्लॉग पर अश्क़ जगदलपुरी द्वारा लिखी गयी रचनाएं प्रकाशित होती है | In this blog you can read latest writings of Ashq Jagdalpuri.You can write to us - Ashqjagdalpuri@gmail.com
गिरगिट
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मैं गिरगिट
मेरा विशिष्ट गुण है
प्रतिवेश अनुसार
"रंग बदलना"
पर हे मानव
तुम जब रंग बदलते हो
किसी भी प्रतिवेश में
कोई भी रंग धारण करते हो
मैं गिरगिट होकर भी
ये कभी ना कर पाउँगा,
इसीलिए हे मानव
मैं तुम्हे शाष्टांग दंडवत
प्रणाम करता हूँ |
तेशे बग़ैर मर न सका कोहकन 'असद' सरगश्ता-ए-ख़ुमार-ए-रुसूम-ओ-क़ुयूद था मिर्ज़ा ग़ालिब के इस शे'र के पीछे एक कहानी छुपी है | आइये पहले इसका शाब्दिक अर्थ जान लेते है - तेशे का अर्थ होता ह...
1. भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए 2. मिरे राहबर मुझ को गुमराह कर दे सुना है कि मंज़िल क़रीब आ गई है 3. न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है 4. वही फिर मुझे याद आने लगे हैं जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं 5. दुश्मनों से प्यार होता जाएगा दोस्तों को आज़माते जाइए 6. हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं 7. तुझ को बर्बाद तो होना था बहर-हाल 'ख़ुमार' नाज़ कर नाज़ कि उस ने तुझे बर्बाद किया 8. फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले 9. गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के ब'अद हम कुछ दूर आदतन भी क़दम डगमगाए हैं 10. चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं नया है ज़माना नई रौशनी है 11. हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं 12. जब से बिछड़े वो मुस्कुराए न हम सब ने छेड़ा तो लब हिला बैठे 13. अक़्ल ओ दिल अपनी अपनी कहें जब 'ख़ुमार' अक़्ल की सुनिए दिल का ...
लूट गये है बाज़ार हम आलोचना करेंगे ठप पड़े है व्यापार हम आलोचना करेंगे आज जो इधर है कल वो उधर होंगे गिरगिटों की है सरकार हम आलोचना करेंगे 5 साल लूटा हमने अब आपकी बारी है आप करना ...