इस ब्लॉग पर अश्क़ जगदलपुरी द्वारा लिखी गयी रचनाएं प्रकाशित होती है | In this blog you can read latest writings of Ashq Jagdalpuri.You can write to us - Ashqjagdalpuri@gmail.com
गिरगिट
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मैं गिरगिट
मेरा विशिष्ट गुण है
प्रतिवेश अनुसार
"रंग बदलना"
पर हे मानव
तुम जब रंग बदलते हो
किसी भी प्रतिवेश में
कोई भी रंग धारण करते हो
मैं गिरगिट होकर भी
ये कभी ना कर पाउँगा,
इसीलिए हे मानव
मैं तुम्हे शाष्टांग दंडवत
प्रणाम करता हूँ |
तेशे बग़ैर मर न सका कोहकन 'असद' सरगश्ता-ए-ख़ुमार-ए-रुसूम-ओ-क़ुयूद था मिर्ज़ा ग़ालिब के इस शे'र के पीछे एक कहानी छुपी है | आइये पहले इसका शाब्दिक अर्थ जान लेते है - तेशे का अर्थ होता ह...
लूट गये है बाज़ार हम आलोचना करेंगे ठप पड़े है व्यापार हम आलोचना करेंगे आज जो इधर है कल वो उधर होंगे गिरगिटों की है सरकार हम आलोचना करेंगे 5 साल लूटा हमने अब आपकी बारी है आप करना ...
1. जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है 2. अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या 3. यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे 4. मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं 5. बहुत नज़दीक आती जा रही हो बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या 6. यूँ जो तकता है आसमान को तू कोई रहता है आसमान में क्या 7. क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं 8. एक ही तो हवस रही है हमें अपनी हालत तबाह की जाए 9. वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे 10. किस लिए देखती हो आईना तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो 11. क्या सितम है कि अब तिरी सूरत ग़ौर करने पे याद आती है 12. इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने 13. अपने सब यार काम कर रहे हैं और हम हैं कि नाम कर रहे हैं 14. हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम तुम्हारी ही तमन्ना ...