नारी
पापा ऑफिस से आये तो माँ को भूल गयी
प्यार हुआ तो माँ बाप को भूल गयी
शादी हुई तो सहेलियों को भूल गयी
बच्चे हुए तो पति को भूल गयी
बच्चे बड़े हुए तो मुझको भूल गये
मैं बूढ़ी हुई तो दुनिया मुझे भूल गयी
इसी भूल भुलैय्या मे हर नारी जी रही है
~अश्क़ जगदलपुरी